Shodashi - An Overview

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

॥ इति त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः सम्पूर्णं ॥

दक्षाभिर्वशिनी-मुखाभिरभितो वाग्-देवताभिर्युताम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥

The Saptamatrika worship is particularly emphasized for people seeking powers of Regulate and rule, as well as for those aspiring to spiritual liberation.

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

Worshipping Goddess Shodashi is not merely about trying to find substance Rewards but will also about the inner transformation and realization in the self.

कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।

लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते

श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।

सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्

Her narratives usually highlight her position in the cosmic fight from forces that read more threaten dharma, thus reinforcing her position to be a protector and upholder in the cosmic buy.

बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

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